Monday, May 20th, 2024

गणेश अंगार की चतुर्थी पर श्रद्धालु पहुंचे सिद्धिविनायक मंदिर 

 
नई दिल्ली

आज भगवान गणेश का व्रत यानी कि 'संकष्टी चतुर्थी' है, इसे 'अंगार की चतुर्थी' भी कहते हैं। आज मंगलवार है और ऐसा कहा जाता है कि मंगल के दिन अगर चतुर्थी पड़े तो वो 'अंगार की चतुर्थी 'होती है। आज इस पावन मौके पर सुबह सुबह मुंबई में श्रद्धालुगण श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर पहुंचे, हालांकि भक्तों ने कोरोना महामारी की वजह से मंदिर के बाहर से ही पूजा की। मालूम हो कि महामारी के मद्देनजर आज टेंपल ट्रस्ट ने QR कोड के जरिए ही दर्शन करने की अनुमति दी है।
 
गौरतलब है कि महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इस पर्व को काफी वृहद स्तर पर बनाया जाता है, लोग आज सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत करते हैं। अंगार की चतुर्थी को 'संकट हारा चतुर्थी' के भी नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होता है। गणेश तो वैसे भी विघ्नहर्ता हैं, उनकी पूजा करने से इंसान के सारे संकट दूर हो जाते हैं।
 

संकष्टी गणेश चतुर्थी
व्रतियों को शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुननी चाहिए। रात के समय चन्द्रोदय होने पर गणेश जी का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए।
 
पूजा के दौरान 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है' करते हुए पूजा शुरू करनी चाहिए। सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं। तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें और क्षमायाचना के बाद पूजा समाप्त करें और उसके बाद चांद का दर्शन करें और उसे अर्ध्य दें और इसके बाद अपना व्रत खोलें।

कथा
ऋषि भारद्वाज और माता पार्वती के पुत्र अंगारक एक महान ऋषि और भगवान गणेश के भक्त थे। उन्होंने भगवान गणेश की पूजा करके उनसे आशीर्वाद मांगा। माघ कृष्ण चतुर्थी के दिन भगवान गणेश ने उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा। उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि उनका नाम हमेशा के लिए भगवान गणेश से जुड़ जाए। इसके बाद से हर मंगलवार को होने वाली चतुर्थी को 'अंगार की चतुर्थी' के नाम जाना जाने लगा और जो भी इस दिन भगवान गणेश की पूजा करता है और उनका व्रत करता है उसके सभी संकट खत्म हो जाते हैं।

Source : Agency

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